ग्यारह जात गोष्ठी को जनजाति का स्टेटस प्रदान करने की मांग
प्रधानमंत्री व जनजाति मामिला मंत्री से पत्राचार किया राज्यसभा सांसद शांता छेत्री ने
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(मुरारी लाल पंचम,कर्सियांग)।
राज्यसभा सांसद श्रीमती शांता छेत्री ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व जनजाति मामिला मंत्री अर्जुन मुंडा से ग्यारह जात गोष्ठी को जनजाति का स्टेटस प्रदान करने की मांग में पत्राचार किया है।
उन्होंने बताया है कि दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में रहनेवाले अधिकतर गोरखा समुदाय के लोग पहाड़ी जनजाति के रूपमें जाने जाते हैं। ऐसे लोगों के लिए ब्रिटिश इंडिया व भारत आजाद होने से पूर्व तक भारत सरकार की ओर से कई सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया गया था।
दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र के कुछेक वंशानुगत जनजाति में क्रमशः लिम्बू,तामंग,शेर्पा,योल्मो आदि को अनुसूचित जनजाति का स्टेटस प्रदान किया गया है। परंतु इसके समान वंशानुगत कुछेक जाति के लोगों में क्रमशः राई(किरात),गुरूंग,मगर,खस,
नेवार,याखा,देवान,मुखिया,थामी,जोगी,भूजेल आदि को समान सामाजिक,आर्थिक व सांस्कृतिक चिह्न रेखा होने के बावजूद इससे वंचित रखा गया है।
जनजाति के स्टेटस से वंचित ग्यारह जात गोष्ठी को भारतीय संविधान के तहत जनजाति के स्टेटस में अंतर्भुक्त करने खातिर पश्चिम बंगाल राज्य सरकार ने वर्ष -2014 में ही सिफारिश करने का कार्य किया था,परंतु आजतक यह विषय अधर में लटका है।
उन्होंने बताया कि राज्यसभा सांसद होने के नाते मैंने इस विषय को कई बार राज्यसभा के शून्यकाल में उठाने का कार्य किया,परंतु कोई भी प्रत्युत्तर मुझे सकारात्मक नहीं मिला।इसलिए स्वतः संज्ञान कार्रवाई करते हुए दार्जिलिंग व सिक्किम पहाड़ी क्षेत्र के ग्यारह जात गोष्ठी को जनजाति का स्टेटस प्रदान करने की मांग में देश के प्रधानमंत्री व जनजाति मामिला मंत्री से पत्राचार किया हूं।
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