बाल दिवस पर विशेष : नशे व मजदूरी के दलदल में फंसता बचपन
-बाल मजदूरों से मुक्त नहीं हो सका सिलीगुड़ी शहर सिलीगुड़ी। आज 14 नवम्बर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। उनकी जयंती को प्रतिवर्ष बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों के उत्थान की बातें की जाती है। बच्चों के लिए हितकर बातें सिर्फ भाषणों की शोभा बढ़ाती हैं। आज भी बच्चे मुफलिसी की जिंदगी में बाल मजदूर बनकर जीने को विवश हैं। नशे की गिरफ्त में फंसकर सिसकियां ले रहे हैं। आमतौर रेलवे स्टेशनों या अन्य सार्वजनिक जगहों पर इन बच्चों को नशा का सेवन करते देखा जा सकता है। आखिर इनके बचपन को छिनने का दोषी कौन है। बाल दिवस पर बच्चों के लिए तरह तरह कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। लेकिन उनकी हकीकत स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक जगहों पर खुलेआम नशा लेते हुए देखा जा सकता है। ये बच्चे सुलेशन और कफ सिरप जैसी घातक पदार्थों का उपयोग नशा के लिए करते हैं। इन बच्चों के पुनर्वास के लिए सरकार के साथ-साथ सामाजिक संगठनों को भी सामने आना होगा। कई होटलों और ढाबों में भी बच्चे आपको जूठे बर्तन साफ करते दिख जाएंगे। सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट में ये बच्चे आपको काम करते दिख जाएंगे। इसके लिए सामाजिक संगठनों को भी आगे आना होगा। ताकि ये बच्चे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़कर भविष्य में उन्नति कर सकें।
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