चाय बागान से गाछ उखाड़ने का मतलब दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र से
कथित रूपसे गोरखाओं को मिटाने का प्रयास है :धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे
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कर्सियांग से मुरारी लाल पंचम।
कर्सियांग महकमा अंतर्गत रहे तीनधारिया -महानदी समष्टि के सिलिमहिल चाय बागान,लोवर डिवीजन,नया कमान में विगत शुक्रवार 19 मई - 2023 के दिन बागान की व्यवस्थापक पक्ष की ओर से इस चाय बागान में कार्यरत श्रमिकों को चाय गाछ उखाड़ने के लिए हिदायत देते ही श्रमिकों ने विरोध आरंभ कर दिया। यह वर्तमान में भी यथावत है। इसके संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पत्रकारों से बातचीत करने के दौरान शामी लाखांग मोनाष्ट्री कर्सियांग के धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे ने कहा कि चाय बागान से गाछ उखाड़ने का मतलब दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र से कथित रूपसे गोरखाओं के अस्तित्व को मिटाने का प्रयास है।आज देखा जाये तो गोरखाओं का अस्तित्व इसी पर निर्भर है। गोरखाओं का प्रमाण चायपत्ति ही है। परंतु कथित रूपसे क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं के आड़ में ऐसे क्रियाकलाप को अंजाम देने का कार्य हो रहा है,जिसे नकारा नहीं जा सकता। इसे पहाड़वासियों को समझना होगा व इससे सतर्क भी रहना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि आज क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं के आड़ में ही मकैबारी चाय बागान के कतिपय चाय गाछ को उखाड़कर यहां ताज होटल बनाने का कार्य किया गया। इसी प्रकार जंगपाना चाय बागान में भी कतिपय चाय गाछ को उखाड़कर वहां मे फेयर रिसोर्ट का निर्माण करने का कार्य किया गया।परंतु खेद की बात यह है कि हमारे क्षेत्र के बेरोजगार युवा-युवतियों के बदले अधिकतर बाहरी लोगों को ही कार्य मिला है।फलस्वरूप क्षेत्र के बेरोजगार युवा -युवतियों के पलायन होने का भी क्रम जारी ही दिखता है।
आज लोगों को यह समझना होगा कि चाय बागान है तो,बाजार,गांव -बस्ती,स्कूल-कालेज आदि सबकुछ है। इसके वगैर कुछ नहीं है।
उन्होंने अंत में गोरखाओं के अस्तित्व को मिटाने खातिर कथित रूपसे किये जा रहे प्रयास से संपूर्ण गोरखाओं को सतर्क रहने का आह्वान भी किया है।
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