बीआरओ ने उत्तरी सिक्किम से लाचेन की ओर बहाल की कनेक्टिविटी
गंगटोक। चार अक्टूबर की सुबह विनाशकारी बाढ़ ने लोगों के जन-जीवन को तहस-नहर कर दिया, जिसके कारण आजतक लोग पूरी तरह उबर नहीं पाये हैं। इस बाढ़ के कारण सिक्किम को एक महत्वपूर्ण संकट का सामना करना पड़ा, क्योंकि लहोनक झील के फटने से अचानक आई बाढ़ ने तीस्ता नदी के किनारे व्यापक क्षति पहुंचाई। प्रकृति की प्रबल शक्ति ने उत्तरी सिक्किम में महत्वपूर्ण चुंगथांग और जीमा पुल सहित छह आवश्यक पुलों को बहा दिया, जिससे लाचेन और लाचुंग घाटी की संचार लाइनें टूट गईं। उत्तरी सिक्किम से कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए, सभी बाधाओं और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद बीआरओ के बहादुर कर्मयोगी कार्रवाई में जुट गए। शुरुआती चरणों में बीआरओ ने सेना के साथ मिलकर संकलांग और चुंगथांग में तीस्ता नदी पर पुल का निर्माण किया। इस प्रकार जोंगू क्षेत्र, चुंगथनाग और लाचुंग घाटी से कनेक्टिविटी बहाल की जा रही है। बहाली के प्रयासों के बाद अगले चरण में बीआरओ ने दिन-रात काम करना जारी रखा और जीमा में एक पुल के निर्माण का चुनौतीपूर्ण कार्य किया, जिसने ल्होनक झील से बाढ़ का पहला प्रभाव झेला था। पुल स्थल पर स्थिति किसी कठिन चुनौती से कम नहीं थी, क्योंकि नदी बेसिन मौजूदा 170 फीट से बढ़कर 400 फीट हो गया था। इस विशाल कार्य में लगभग तीन किलोमीटर की ताजा निर्माण कटाई, संपूर्ण नदी प्रशिक्षण कार्य, जीमा चू नदी को चैनलाइज करना और व्यापक तटबंधों का निर्माण शामिल था। बाद में बीआरओ ने सेना के साथ समन्वय में जीमा चू में एक बेली ब्रिज सफलतापूर्वक लॉन्च किया, जिससे लाचेन और चैटन के लिए महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी बहाल हो गई। बीआरओ के अथक प्रयास और अटूट प्रतिबद्धता अत्यधिक सराहनीय है और यह विपरीत परिस्थितियों में एकता और
लचीलेपन की अदक्वय भावना का उदाहरण है। इस उपलब्धि ने उत्तरी सिक्किम के लाचेन और चैटन गांवों के 54 दिनों के अलगाव को समाप्त कर दिया है। अत्यंत महत्वपूर्ण पुल के निर्माण से न केवल स्थानीय लोगों को, बल्कि क्षेत्र में तैनात सशस्त्र बलों को भी रसद सामग्री उपलब्ध हो सकेगी। इन महत्वपूर्ण पुलों की बहाली न केवल प्रकृति की चुनौतियों पर विजय का प्रतीक है, बल्कि सिक्किम के लोगों की सेवा में बीआरओ और सेना के दृढ़ संकल्प को भी रेखांकित करती है। ये बेमिसाल बीआरओ के आत्मबल से पहले सेवा का सच्चा प्रतिनिधित्व है।
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