नक्सल आंदोलन की धरती पर लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने से उपजा विवाद
नक्सलबाड़ी : फिर से लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने को लेकर इलाके का राजनीतिक माहौल गरमा गया है। बुधवार सुबह नक्सल आंदोलन की धरती पर स्थापित शाहिद बेदी पर वामपंथ विचारधारा के प्रचारक कार्ल मार्क्स, फ्रेडरिक एंजेल्स, स्टालिन और लेनिन की मूर्ति 1967 से स्थापित हैं। बुधवार सुबह लेनिन की मूर्ति का सिर टूटा पड़ा था। दृश्य देखते ही इलाके में खलबली मच गई। स्थानीय वामपंथी नेताओं ने मौके पर पहुंच इसका विरोध जताया। सीपीआईएम के किसान नेता गौतम घोष ने कहा लेनिन की मूर्ति को तोड़कर उनके विचार और सिद्धान्तों का अनुसरण करने वाले अनुयायियों को समाप्त नहीं किया जा सकता। नक्सलबाड़ी नक्सल आंदोलन की धरती है, इस आंदोलन से यहां के लोगों का आवेग जुड़ा हुआ है। और उसी आवेग की बदौलत युगों से यह शाहिद बेदी यहां स्थापित है। लेकिन बार-बार लेनिन की मूर्ति को तोड़ा जा रहा है। और पुलिस प्रशासन मूक दर्शक की भूमिका निभाती आई है। मूर्ति को तहस-नहस करने का आरोप भाजपा पर लगाते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई जाएगी और एक जोरदार आंदोलन किया जाएगा।
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