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News / 1st Jan 2023

आत्मज्ञान रूपी प्रकाश से जीवन को प्रकाशित करते हैं गुरु : सतपाल जी महाराज

- सद्भवना सम्मेलन के अंतिम दिन भक्ति की गंगा में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

सिलीगुड़ी 1 जनवरी : सिलीगुड़ी में मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित दो दिवसीय सद्भावना सम्मेलन के दूसरे दिन का कार्यक्रम संध्या पांच बजे से शुरू हुआ। देश-विदेश तथा आस-पड़ोस से आये हुये हजारों भक्तों को सम्बोधित करते हुए मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरु श्री सतपालजी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार कंपास की सुई सदा एक दिशा को सांकेतिक करता है, जिससे समुद्र में नाविक भटकता नहीं है। उसी प्रकार ध्यान-सुमिरन के द्वारा हमें अपने मन रूपी कंपास को एक ब्रह्म दिशा में स्थिर करना चाहिए, तभी हम संसार रूपी भवसागर में नहीं भटकेंगे। इसलिए भगवान श्री कृष्ण भी अर्जुन को कहते हैं कि हर कर्म करते हुए नाम का सुमिरन कर। उपस्थित श्रद्धालुओं से मुखातिब होकर श्री महाराज जी ने कहा कि आप सभी बुराइयों को छोड़कर सद्भावना सम्मेलन में आये हैं। यह आपकी एक सकारात्मक सोच है। अपना भला करें और संसार का भला करें। परिवार, गांव, शहर, राज्य और हमारे देश में सद्भावना की लहर फैले। यही हमारे ऋषियों का संदेश भी था। इसलिए ऋषियों ने कहा सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। उन्होंने कहा कि गुरु सूर्य के समान होते हैं जो हमारे मन के अज्ञान रूपी अन्धकार को हर कर आत्मज्ञान रूपी प्रकाश से जीवन को प्रकाशित कर देते हैं l 
सत्संग के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सतपाल जी महाराज ने कहा कि सब सुखी हो, यह वही व्यक्ति कह सकता है जो संत है और जिनकी आत्मा उन्नत हो गई है। ऋषियों की आत्मा इतनी उन्नत हो गई थी, वे अपना जाति, समूह, गोत्र के सुख की कामना नहीं की। उन्होंने विश्वात्मा से प्रार्थना किया कि सब सुखी हो और निरोग हों। उन्होंने कहा कि जब हम शांति से रहते है तो दुनिया की आर्थिक व्यवस्था उछाल मारती है। अगर लड़ाई छिड़ती है तो तेल महँगा हो जाता है। ये महंगाई  यूक्रेन और रूस की लड़ाई का नतीजा है। जिसके हमलोग भी भुक्तभोगी है। उन्होंने कहा कि कई बीमारियां लाइलाज हैं, जिसका इलाज का सामाधन डॉक्टर भी नहीं निकाल सके हैं। लड़ाई के लिए बड़े-बड़े विध्वंसक बम बनाये गए। इन बमों से हम तहस-नहस कर सकते हैं, जिससे जान-माल की हानि हो जाएगी। लड़ाई के बाद अगर हम उस जगह को लेते है तो वहां श्मशान ही मिलेगा। कोरोना इसी का परिणाम रहा। जब कोरोना बेकाबू हुआ तो लॉक डाउन लगा। चीन के अंदर भयावह स्थित है, पर भारत में स्थिर है। जब हमारी शक्ति एक होंगी तो किसी भी बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
महाराज जी ने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में सब को अपना-अपना योगदान देना है, इसके लिए जरूरी है कि हम अपने आत्मशक्ति को जगायें l इसी आत्मज्ञान की विद्या राजविद्या कहलाती है।जिसका ज्ञान भगवान राम ने हनुमान को और श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया। हमें भी इस विद्या को जानने के लिए तत्वदर्शी सद्गुरू के पास जाना होगा, जो हमें भगवान के पावन नाम और रूप का तत्व बोध करा सके। 
पूज्य माता श्री अमृताजी ने भक्तों को जीवन भर गुरू महाराजजी के बताये हुए ज्ञान-मार्ग पर चलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एक शिष्य जब गुरू के आज्ञा रूपी किले में रहकर गुरू दरबार की निःस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए भजन ध्यान करता है, तो जीते जी मुक्त हो जाता है। आज भी भजन कलाकार एवं छोटे-छोटे बच्चों ने सुन्दर-सुन्दर भजन , नृत्य और नाटक प्रस्तुत कर भक्तों को आनन्दित किया।
सद्भावना सम्मेलन के दूसरे दिन पूज्य श्री श्रीयांशजी महाराज का पावन जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस शुभ अवसर पर सत्संग मंच पर पूज्य सद्गुरु महाराजजी तथा माताजी के साथ सम्पूर्ण दिव्य परिवार की उपस्थिति में पण्डितों द्वारा वैदिक विधि-विधान के साथ देवी-देवताओं का पूजन किया गया। जिससे श्रीयांशजी के जीवन की सभी विघ्न-बाधायें दूर हो। श्री महाराजजी ने श्रीयांशजी के जन्मदिन की शुभकामना दी तथा आशा व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीयांशजी बड़ा होकर ज्ञान का प्रचार करेंगे। इस अवसर पर विभुजी महाराज जी ने अपना ओजस्वी विचार को श्रद्धालुओं के रखा। सद्भावना सम्मेलन में आराध्या माता जी, सुयेश जी महाराज, मोहेना माता जी भी उपस्थित थे।

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