विश्वशांति महायज्ञ की तैयारी जोरों पर, जानिये नौ कुंडो का विधान
सिलीगुड़ी : उत्तर बंगाल में पहली बार विश्वशांति हेतु महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। शहर से सटे मिलन मोड़ स्थित त्रिवेणी संस्कृत विद्यापीठ के रजत जयंती वर्ष के अवसर पर ग्यारह दिवसीय उक्त महायज्ञ का आयोजन किया गया है। अगले 9 फरवरी से 19 फरवरी तक चलने वाले इस महायज्ञ में रोजाना प्रभात फेरी के साथ योगाभ्यास, पूजन-आरती, भगवत कथा-पाठ का आयोजन किया गया है। महायज्ञ के शुभारंभ में अब मात्र चार दिन शेष रह गए है। इस लिए तैयारी युद्धस्तर पर जारी है। विश्वशांति महायज्ञ के लिए त्रिवेणी संस्कृत विद्यापीठ के प्रांगण में सनातन धर्म के अनुसार हवन के लिए नौ कुंड बनाये जा रहे हैं। प्रत्येक कुंड का अपना महत्व है। नौ कुंड के नाम त्रिकोण कुंड, अर्धचंद्र कुंड, योनि कुंड, वृताकार कुंड, षटकोण कुंड, पद्म कुंड, अष्टदल कुंड, चौकोर कुंड और प्रधान कुंड बताया गया। कुंड के नाम से ही उसके आकार का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन नौ कुंड में हवन और उसके फल प्राप्ति का विधान त्रिवेणी संस्कृत विद्यापीठ के वेद आचार्य लीलाराम गौतम बता रहे हैं सुनिए@
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