धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों के लिए अपनी ओर से 10 मकान निर्माण करायेंगे
शामी लाखांग मोनाष्ट्री कर्सियांग के धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे द्वारा
कालिम्पोंग जिले के तीस्ता क्षेत्र,गेल खोला व 29 माईल क्षेत्र में विगत 4 अक्टूबर - 2023 के दिन हुई विनाशकारी प्राकृतिक प्रकोप व बाढ़ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने का क्रम जारी है।
इसकी जानकारी देते हुए धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे ने बताया कि इस विनाशकारी प्राकृतिक प्रकोप व बाढ़ से उक्त इलाकों में कई मकान पूर्ण रूपसे जल समाधि ले लिया है,तो कई मकानों की अधिकतर हिस्सा बाढ़ के कारण जमीन में धस गई है।
उन्होंने कहा कि मैं सभी इलाकों का निरीक्षण कर रहा हूं। मैंने देखा कि बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री को लेकर कोई असुविधाएं नहीं है। प्रत्येक दिन विविध संघ -संस्थाओं की ओर से राहत सामग्रियों के तहत खाद्य सामग्रियां,सब्जी,कपड़े,कंबल,पानी की बोतलें आदि राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। बस एक ही चीज की कमी खटक रही है उनके पुनर्वास हेतु मकान का व्यवस्था कराना।इसे ध्यान में रखकर मैंने अपनी ओर से 10 मकान निर्माण कराने का फैसला लिया हूं।
उन्होंने बताया कि गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए )के प्रमुख कार्यपाल अनित थापा ने हाल ही कहा था कि वे जीटीए की ओर से पीड़ितों के लिए संपूर्ण व्यवस्था मिलाने को सक्षम हैं। वे अपनी ओर से पीड़ितों को सकभर सहयोग पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
इसी बीच मैंने यह निर्णय लिया हूं कि गेल खोला,तीस्ता व 29 माईल क्षेत्र का सर्वे कर अपनी ओर से एकदम ही जरूरतमंद कुल 10 बाढ़ पीड़ित परिवारों का चयन कर मकान निर्माण करा दूंगा।उन्होंने घोषणा किया कि वे अपनी जमीन में ही दसों मकान का निर्माण कर जरूरतमंद बाढ़ पीड़ितों को प्रदान करेंगे। इसका कार्य वे यथाशीघ्र आरंभ करेंगे। उन्होंने बताया कि गेल खोला,तीस्ता व 29 माईल तीनों इलाकों में उनकी अपनी जमीन है। उसी में वे मकान का निर्माण कर कुल 10 बाढ़ पीड़ित परिवारों को प्रदान करेंगे।
आज सोमवार वे गेल खोला के बाढ़ग्रस्त इलाके के निरीक्षण में पहुंचे थे। यहां कर्सियांग क्षेत्र के गौरीशंकर चाय बागान अंतर्गत रहे घैयाबारी -एक पंचायत के पंचायत समिति सदस्य दीक्षा तामंग व टीम भी बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री लेकर पहुंची थी।
गेल खोला के कई बाढ़ पीड़ितों ने धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे से आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा तीस्ता नदी से बालू की निकासी करने नहीं दिया जाता है।फलस्वरूप गेल खोला क्षेत्र बाढ़ के चपेट में पड़ गया है।
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