दार्जिलिंग। हर्षवर्द्धन श्रृंगला इन दिनों पहाड़ के समाजसेवा में अचानक सक्रिय हो गए हैं। इसके लिए बजापते उन्होंने एक सामाजिक संस्था का भी गठन किया है। उनकी सक्रियता को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि राजनीति में एस जयशंकर, हरदीप सिंह पूरी, आरके सिंह और अश्विनी वैष्णव जैसे ब्यूरोक्रेट्स सीधे पर सरकार में शामिल हैं। इसलिए श्रृंगला अगर दार्जिलिंग से भाजपा उम्मीदवार हो जाएं, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पहाड़ की राजनीति को करीब से समझने वाले हिम बहादुर सोनार बताते हैं हर्षवर्द्धन श्रृंगला सच्चे गोर्खा छोरा हैं। देश कम लोग ही इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं, जहां तक श्रृंगला पहुंच सके। यह बड़े गर्व की बात है।
लोकसभा चुनाव से पहले हिल्स की राजनीति में उथल-पुथल का दौर जारी है। नेताओं के बीच सह-मात का खेल भी शुरू है। बदलते घटनाक्रम में कब क्या हो जाये, कौन किसके साथ चला जाये या फिर कहें किसी राजनीतिक गोटी कहां फिट जाए, कहना मुश्किल है। मुश्किल हो भी क्यों नहीं, राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। इसके बावजूद अभी हिल्स की राजनीति में सबसे अधिक चर्चा पूर्व राजनयिक व जी20 के समन्वयक हर्षवर्द्धन श्रृंगला की हो रही है।
वे बताते हैं कि श्रृंगला को जमीन से जुड़े होने व उनके विनम्र स्वभाव के कारण अधिक पसंद किया जाता है। यही नहीं, कई बार उन्होंने विदेशों में रहने वाले दार्जिलिंग के लोगों की मदद की है। अभी हाल ही में दार्जिलिंग की हेमा राई को इजरायल संकट के दौरान वापसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे श्रृंगला का क्रेज पहाड़ी क्षेत्रों में काफी बढ़ा है।
दार्जिलिंग में जी 20 सम्मेलन से श्रृंगला का कद बढ़ाया जा रहा है। इसी वर्ष अप्रैल में दार्जिलिंग में हुए तीन दिवसीय जी 20 टूरिज्म की बैठक थी। दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह का पहला आयोजन था। इसके पीछे श्रृंगला को ही इसे बढ़ावा देने का श्रेय मिला। कर्सियांग के भाजपा विधायक बीपी बजगाईं भी लोकसभा चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी को उतारने के मुद्दे पर लगातार मुखर रहे हैं। उनकी मुखरता से भी श्रृंगला की सक्रियता को बल मिलता है। श्रृंगला का जन्म भले ही दार्जिलिंग में नहीं हुआ हो, लेकिन पिताजी सिक्किम के बौद्ध और मां नेपाली हिन्दू थी। इसलिए वे बचपन से नेपाली बोलते हैं।
उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग हिल्स से काफी संख्या में लोग काम के सिलसिले में विदेशों में रहते हैं। यही नहीं कोविड 19 महामारी के दौरान भी श्रृंगला ने भारत के बाहर दूसरे देशों में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी कराई। श्रृंगला का जन्म के भले ही दार्जिलिंग में नहीं हुआ हो, मगर वे दार्जिलिंग की मिट्टी से हमेशा जुड़े रहे हैं। खासकर, गर्मी की छुट्टियों में वे दार्जिलिंग अपने घर आते रहे हैं।
असल में श्रृंगला के प्रोफाइल को बढ़ावा देने के लिए कुछ माह से सचेत कोशिशें जारी है। इसके लिए हाल ही में श्रृंगला की जीवनी पर लिखी पुस्तक नाॅट एन एक्सिडेंटल राइज लाॅन्च की गई जिससे लोग श्रृंगला से अवगत हो सकें।
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