गोरखालैंड की मांग करनेवाले संपूर्ण पार्टी पहाड़ की भूमि,जनता व पहाड़ विरोधी हैं : धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे
नेताओं ने गोरखालैंड शब्द को मांगकर खानेवाला बर्तन बना दिया है
कर्सियांग से मुरारी लाल पंचम।
शामी लाखांग मोनाष्ट्री कर्सियांग के धर्मगुरु पेंबा रिम्पोछे ने अलग राज्य गोरखालैंड की मांग पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि गोरखालैंड की मांग करनेवाले संपूर्ण पार्टी पहाड़ की भूमि,जनता व पहाड़ विरोधी हैं। कथित रूपसे गोरखालैंड की मांग पर अपनी निजी झोला भरने का कार्य कर रहे हैं। नेताओं ने गोरखालैंड की मांग को मांगकर खानेवाला बर्तन बना दिया है।
उन्होंने कहा कि बेहतर होता अलग राज्य गोरखालैंड के बदले छठी अनुसूची अथवा यूनियन टेरिटोरी(स्वायत्त शासन)की मांग वे लोग करते। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि गोरखालैंड का गठन होने से दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में विगत कई दशकों से रहनेवाले अन्य समुदाय के लोगों की आइडेन्टिटी (पहचान )नहीं रह जायेगी। इसलिए यदि स्वायत्त शासन अथवा छठी अनुसूची गठन हो तो इस क्षेत्र में रहनेवाले अन्य समुदाय के लोगों की आइडेन्टिटी भी बच जायेगी व आइडेन्टिटी बचाकर कार्य भी हो जायेगा। हमें अलग राज्य की मांग करते वक्त विगत कई दशकों से इस क्षेत्र में रहनेवाले अन्य समुदाय के लोगों का भी ख्याल रखना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि गोरखालैंड कहने से गोरखा जाति के लोगों को मात्र समझा जायेगा। नाम पर विशेष रूपसे ध्यान देने की आवश्यकता है। या नहीं हो तो पांच सीमाओं में क्रमशः नेपाल,भूटान,बंगलादेश,चीन व म्यानमार से घिरे दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र को सीमांचल के नाम से भी अलग राज्य की मांग किया जा सकता है।
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